फिल्म धड़क को मराठी की सुपरहिट फिल्म सैराट का रीमेक समझकर न देखें। न शुद्ध मुंबइयां फिल्म है, जिसका कोई संदेश नहीं है। कहानी में भी बदलाव किया गया है और सैराट जिन मुद्दों को लेकर चर्चित हुई थी। वे मुद्दे इस फिल्म में एक-दो डायलॉग तक सीमित है। सैराट में वर्ग और जाति व्यवस्था पर चोट थी। इस फिल्म में ओनर किलिंग का बहाना बना दिया गया है।
बड़े-बड़े नामों वाली इस फिल्म में श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर और शाहिद कपूर का भाई ईशान खट्टर मुख्य भूमिका में है। कहानी के मुताबिक ईशान खट्टर को जितना लल्लू फटाखा होना चाहिए, उतना वह नजर आया। जाह्नवी भी बस ठीक-ठाक ही है। दोनों कलाकारों में अभिनय को लेकर जो गंभीरता होनी चाहिए थी, वह कम नजर आई।
फिल्म में सैराट के गानों की नकल की गई है। लोकेशन सैराट से बेहतर है, लेकिन फिल्म दर्शकों को बांधे रखने में नाकाम है। सैराट में जहां जाति व्यवस्था पर चोट थी, वहीं इस फिल्म में नेताजी, चुनाव, भ्रष्ट पुलिस, राजनैतिक बदला जैसे घीसे-पीटे फॉर्मूले ही है। डायरेक्टर ने रोमांस के साथ एक्शन और कॉमेडी भी डालने की कोशिश की है, जिसमें उन्हें पूरी सफलता नहीं मिली है।
आमतौर पर नए हीरो और नई हीरोइन की प्रेम कहानी वाली पहली फिल्म सुपरहिट होती है। क्योंकि ऐसी फिल्मों में हीरो और हीरोइन के प्रति कोई छवि दर्शकों के मन में नहीं होती। यह फायदा इस फिल्म को जरूर मिलेगा। इंटरवल के बाद फिल्म मनोरंजन के बजाय पकाने लगती है। उद्देश्य तो कोई था ही नहीं। ऐसे में दर्शकों को लगता है कि उन्होंने पैसे और वक्त का खून किया है।