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रिपब्लिक के साथ ही अर्नब गोस्वामी की वापसी हो गई है,लेकिन टीवी वापसी के पहले ही सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा होना शुरू हो गई थी। जब अर्नब गोस्वामी ने टाइम्स नाउ छोड़ने की बात कही थी, उसके तीन सप्ताह बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर यह घोषणा की थी कि वे अपना खुद का वेंचर लेकर आ रहे हैं। ट्विटर पर जब पहली बार रिपब्लिक के नाम से ट्वीट किया गया और लोगों से सहयोग मांगा गया, तब 24 घंटे के भीतर ही 55 हजार लोगों ने उसे फॉलो करना शुरू कर दिया था। हर घंटे फॉलोअर्स की संख्या बढ़ती जा रही थी। रिपब्लिक के फेसबुक पेज को भी बारह हजार लोगों ने चौबीस घंटे में लाइक किया।

रिपब्लिक ने दावा किया कि वह वास्तव में रिपोर्टरों का चैनल है। एक स्वतंत्र मीडिया है। यहां रिपोर्टर केवल अपने समाचार के प्रति जवाबदेह होंगे। किसी व्यक्ति के लिए नहीं। अर्नब गोस्वामी ने यह भी दावा किया था कि वर्तमान डिजिटल युग में रिपब्लिक को कोई रोक नहीं पाएगा, उसे जहां तक पहुंचना है, वह पहुंचेगा ही। एकाधिकारवादी मीडिया उसके आगे टिक नहीं पाएगा। देखते ही देखते अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक नाम के हैशटैग सोशल मीडिया पर छा गए। सोशल मीडिया के विशेषज्ञों ने इसे अर्नब गोस्वामी का जादू ही माना कि सोशल मीडिया पर आते ही इतने सारे लोगों ने उन्हें फॉलो करना शुरू कर दिया।

टाइम्स नाउ चैनल पर अर्नब गोस्वामी का तकियाकलाम रहा है - ‘नेशन वान्ट्स टू नो’। उनके चीखने चिल्लाने ने भी उनकी एंकरिंग को चर्चा में बनाए रखा। अपने राष्ट्रवादी रवैये के कारण भी बुद्धिजीवियों का एक वर्ग उनका आलोचक बन गया है। इसके अलावा राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी के इंटरव्यू भी उन्हें चर्चा में रखे हुए थे। लोकसभा और राज्यसभा में भी उनके नाम का जिक्र होता रहा है और वे एक तरह से मीडिया आइकॉन के रूप में स्थापित हो चुके है।

रिपब्लिक के शुरू होने और पहले ही दिन लालू प्रसाद यादव के बारे में चर्चित और विवादास्पद समाचारों के लिए अर्नब गोस्वामी फिर चर्चा में है। सोशल मीडिया पर उनके नाम को लेकर लोग नए-नए लतीपेâ गढ़ रहे है। कह रहे है कि जहांपनाह के आने से तिलचट्टों में भारी खलबलाहट है, क्योंकि रिपब्लिक नामक स्प्रे बाजार में आ गया है। किसी ने पैरोडी बनाकर लिखा कि ‘रामचन्द्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आयेगा, रिपब्लिक के आने से लुटियन्स का कारोबार हिल जायेगा’। अर्नब गोस्वामी के राष्ट्रवादी रवैये पर यह भी लिखा गया कि रिपब्लिक अभी तक बार्डर पर नहीं गया है, वरना पाकिस्तान कब का घुटने टेक देता।

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रिपब्लिक चैनल की खबरों को लेकर भी लोग अपने-अपने कयास लगा रहे है। एक कयास तो यह है कि लालू और शहाबुद्दीन की खबरें इस तरह दिखाई जा रही है ताकि नीतिश कुमार उनसे अपना गठबंधन तोड़ लें। इन कारणों के उजागर होने पर नीतिश कुमार को कोई सफाई देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसी ने यह भी लिखा कि लालू और शहाबुद्दीन के टेप सार्वजनिक करने के बाद अभी तक राजनाथ सिंह ने उनकी कड़ी निंदा क्यों नहीं की? अर्नब को लोगों ने टीवी चैनल का बाहुबली और सिंघम भी लिख डाला। किसी ने लिखा है कि ‘यह मेरा चैनल है और मैं यहां का जयकांत शिक्रे हूं।’

रिपब्लिक के चाहने वाले भी खुलकर सामने आए और कह रहे है कि यह उन गद्दार मीडिया चैनल्स के गाल पर तमाचा है, जो भ्रष्टाचार रोकने के बजाय हिन्दू और मुसलमान के नाम की रोटियां सेंकते रहते है। रिपब्लिक चैनल का पब्लिक चैनल होना एक अच्छी शुरूआत है। अर्नब के एक प्रशंसक ने दूसरे मीडिया समूहों पर व्यंग करते हुए लिखा कि रिपब्लिक लांच होने के बाद राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के लिए मीडिया का दूसरा गुट कब जा रहा है? रिपब्लिक के शुरू हो जाने के बाद अब पाकिस्तान को कोई बचा नहीं सकता।

अर्नब को चाहने वालों की तरह ही उनके विरोधी भी सोशल मीडिया पर लतीफे शेयर कर रहे है। यह भी लिखा गया है कि नारद मुनी की तरह इधर की बात उधर करके लोगों के बीच आग लगाने के लिए जो आदमी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, वहीं नारद मुनी का अवतार है और उसका नाम है अर्नब गोस्वामी। अर्नब गोस्वामी की चीख-चीख कर एंकरिंग करने पर भी व्यंग किया गया है कि अर्नब गोस्वामी का नया चैनल पर्यावरण फैलाने के मानकों पर फैल हो गया है, क्योंकि वह ध्वनि प्रदूषण फैलाता है। सुप्रीम कोर्ट को ऐसे प्रदूषणकारी चैनल पर रोक लगा देनी चाहिए।

सोशल मीडिया पर अर्नब गोस्वामी की लोकप्रियता इतनी है कि उनके नाम के फेक अकाउंट दर्जनों बन गए है। कुछ फेक अकाउंट में तो फॉलोअर्स की संख्या भी अच्छी खासी है। अर्नब गोस्वामी ने अपने चैनल में देशभर के सक्रिय टीवी पत्रकारों को शामिल किया है। दक्षिण भारत के लोकप्रिय तमिल चैनल थांति के संवाददाता एस.ए. हरिहरन को जब रिपब्लिक में जॉब ऑफर किया गया, तब वे हतोत्साहित थे, क्योंकि उनका लहजा एकदम तमिल था, लेकिन अर्नब गोस्वामी ने हरिहरन का चैनल में स्वागत किया और कहा कि हमें केवल मुंबई या दिल्ली के रिपोर्टर नहीं चाहिए, हमें पूरे देश के रिपोर्टर चाहिए। मीडिया जगत में माना जा रहा है कि अर्नब का नजरिया उचित ही है। सोशल मीडिया पर आए संदेशों के अनुसार जल्दी ही रिपब्लिक वल्र्ड नाम का मोबाइल एप और वेबसाइट भी लोगों के सामने होगी। टीवी विशेषज्ञों के अनुसार अगर रिपब्लिक चैनल अपना डिस्ट्रिब्यूशन सही तरीके से करने में सफल होता है, तो वह अंग्रेजी का नंबर वन चैनल भी बन सकता है।

08 May 2017

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