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इन दिनों फिल्मी दुनिया में बेटों का राज है। बेटों में भी फिल्म कलाकारों बेटे। सुनील दत्त का बेटा संजय दत्त, मनोज कुमार का बेटा कुणाल गोस्वामी, राजेन्द्र कुमार का बेटा कुमार गौरव, नूतन का बेटा मोहनिश बहल, शशि कपूर का बेटा कुणाल कपूर और राजकपूर के बेटे रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर..। अब धमेन्द्र का बेटा सनी (असली नाम अजय) देओल भी फिल्मों में अभिनय की दौड़ में आ गया है।

 

सनी की पहली फिल्म ‘बेताब’ बाक्स-आफीस पर हिट हुई। यों तो बहुत सी फिल्में हिट होती है, लेकिन ‘बेताब’ की सफलता, चर्चा का विषय इसलिए बनी कि ‘बेताब’ के निर्माण पर पैसा पानी की तरह बहाया गया। लोकेशन के चुनाव पर लाखों रूपये खर्च किए गए और कहते हैं कि लड़ाई के दृश्यों के लिए हालिवुड से बुलवाए गए। फाइट-कम्पोजिटर ने ही १५ लाख रूपये लिए। शूटिंग के दौरान दस-दस ‘री-टेक’ हुए। यह सब इसलिए कि ‘सनी देओल’ हिट हो। आज के थापे वंâडे आज नहीं जल सकते, उसी तरह आज किया गया खर्च आज कमाई नहीं देगा, लेकिन आगे देगा। और सिर सलामत, तो पगड़ी पचास। आज सनी ‘स्टार’ बन जाए तो पचास फिल्में मिल जाएंगी।

धमेन्द्र के खर्च और ‘बेताब’ के निर्देशक राहुल खेल की योगय्ता और मेहनत का नतीजा है कि ‘सनी’ वाकई ‘स्टार’ हो गया है। आज उसके पास बड़े बजट की सात फिल्में हैं - जोशीले, अर्जुन, मंजिल, जबर्दस्त, सनी, सोहनी महिवाल और सवेरेवाली गाड़ी। और आपातकाल की नायिका रूखसाना सुल्तान की बेटी अमृता सिंह के अलावा डिम्पल खन्ना, श्रीदेवी, पूनम ढिल्लों और जया प्रदा उनके साथ नायिका होंगी।

सनी की पहली योग्यता यह है कि उनका चेहरा ज्यादा चिकना-चुपड़ा नहीं है। दूसरी खासियत यह है कि वे स्क्रीन टेस्ट में शत-प्रतिशत खरा है। तीसरी यह कि वे दिखने में संतुलित है और बातचीत के अंदाज में मिला है। चौथी यह कि उसकी पहली फिल्म प्रेम-कथा थी और उसके निर्देशक राहुल रवैल इस तरह की फिल्मों के विशेषज्ञ हैं। और न सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे धमेन्द्र का बेटे हैं। और अपने पिता की तरह ही अभिनय को आर्ट कम, प्रोपेâशन ज्यादा मानते हैं। फिल्मों के चयन का उनका तरीका यह है कि चाहे जितनी बकवास फिल्म ही क्यों न हो वे उसी में काम करना मंजूर करते हैं जिसका कथानक नायक पर केन्द्रित हो।

ज्यादातर सफल माने जाने वाले अभिनेताओं की तरह सनी भी मानते हैं कि ‘आर्ट फिल्में’ कोरा पेâशन है। उसे वे लोग बनाते हैं जो बड़े बजट की फिल्में नहीं बना सकते। वे लोग उसकी तारीफ करते हैं जो उसे समझते नहीं। और उसे वे लोग देखते हैं..उन्हें देखना ही कौन चाहता है?

उनकी नजरों में दुनिया के सबसे बड़े अभिनेता उनके पिता धमेन्द्र हैं। उनकी क्या चीज पसंद है? कौन सी चीज नहीं? हर चीज।

यदि एक्टर नहीं बनते, तो सनी क्या होते? उनका कहना है खिलाड़ी। पुâटबाल और बैडमिंटन उनके प्रिय खेल हैं। उनकी दिनचर्या का एक मसत्वपूर्ण हिस्सा खेल और कसरत को समर्पित है।

स्वास्थ्य को वे बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। वे अमेरिका की तरह अनिवार्य सैन्य सेवा के पक्षधर है। इससे लोग कुछ तो चुस्त, स्वस्थ और कमऱ्ठ होंगे।

सनी की पढ़ने-लिखने में खास दिलचस्पी नहीं। बविंâघम के स्वूâल आफ ड्रामा से उन्होंने अभिनय का प्रशिक्षण किया है। दैनिक जीवन में भी उनका किताबों से सगा रिश्ता नहीं है। अखबारों के शीर्षक -सामान्यत: नवभारत टाइम्स और टाइम्स आफ इंडिया के - वे देख लेते हैं।

प्रकाश हिन्दुस्तानी

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