'अकीरा' फिल्म में हीरो है सोनाक्षी सिन्हा। दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा अब जाकर वास्तव में दबंग बनी है, वरना अब तक तो शो-पीस ही थी। गुंडों की हड्डियां और अपनी परम्परागत छवि दोनों तोड़ दी है इसमें। यह फिल्म सोनाक्षी को एक्शन में दिखाने के लिए लिखी गई है। ठीक भी है -- बेचारी कब तक दबंग, राउडी राठौर, ऑल इज वेल, सन ऑफ़ सरदार टाइप फिल्मों में अपनी भकुआई दिखाती ? अक्षय को लेकर 'हॉलीडे ' और आमिर को लेकर ग़ज़नी बनानेवाले दक्षिण भारत के निर्देशक एआर मुरूगो दास ने इसमें सोनाक्षी को 'एक्शन कुमारी' बना दिया ।
लेखक, निर्माता भी हैं। तमिल में बनी महिला पात्र केन्द्रित 'मौना गुरू' की रीमेक यह फिल्म सभी तरह के मसालों से भरपूर है- एक्शन, ड्रामा, स्टंट, इमोशन, ट्विस्ट ! इसे देखकर ही पता चला कि अकीरा संस्कृत का शब्द है और उसका मतलब शक्ति ! अक्षय कुमार ने निर्माता से दोस्ती निभाई और अतिथि कलाकार बने। अनुराग कश्यप ने इसमें एक्टिंग भी की है और ठीकठाक की है। कोंकणा सेन शर्मा, अमित साध, अतुल कुलकर्णी, मिशिका अरोड़ा, टीना सिंह भी हैं और सभी सोनाक्षी के चरित्र को निखारकर दिखाने के लिए ही हैं।
बात-बात किसी से झगड़ा करनेवाली जोधपुर की किसी लड़की को उसके घरवाले मुम्बई नहीं भेजना चाहेंगे, पर यह फिल्म बनानी थी, और मुम्बई में बनानी थी, इसलिए सोनाक्षी का मुम्बई जाना लाजिमी ही था. पर मुम्बई में वह 'एंग्री यंग वूमेन' बन जाती है क्योंकि अक्खे मुम्बई के गुंडे तय कर लेते हैं, उन्हें तो केवल सोनाक्षी से ही पिटना है. गुंडे सोनाक्षी से पिटने का मज़ा लेते हैं। सोनाक्षी अपनी हसरतें पूरी करती हैं। इस बीच फिल्म में नाटकीय ट्विस्ट आ जाते हैं, न आते तो फिल्म कैसे बनती? सो हे सोनाक्षी के चाहने वालो, उसका भी मज़ा लीजिए।
हम खुद अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ नहीं पाते, एक सुन्दर सी हट्ठी-कट्ठी लड़की आठ-आठ गुंडों को ठिकाने लगाती है तो सिनेमाघर में ही सही, हमारी कमज़ोर आत्मा को थोड़ा सुकून मिलता है! यह सोनाक्षी सिन्हा को नये किरदार में लांच करनेवाली फिल्म है। वह 29 की हो चुकी हैं, नई नई छुई मुई हीरोइनों के सामने कब तक रोमांस करती रह सकेंगी?इंटरवल तक तो सोनाक्षी ही छाई रहती हैं, बाद में अनुराग और कोंकणा को कुछ दिया गया है। यह पास टाइम फिल्म है, देख सकते हैं; नहीं देखेंगे तो भी कोई फर्क तो नहीं ही पड़ेगा।
2 Sept 2016