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राजस्थान में महिला सरपंच का ख़याल करते ही घूंघट काढ़े सहमी सी, अनपढ़ या अल्पशिक्षित महिला की छवि उभरती थी, पर छवि राजावत अलग ही तरह की सरपंच हैं. वे एमबीए हैं, लाखों की नौकरी छोड़कर गाँव में आई हैं, राजस्थानी के साथ ही अंग्रेज़ी भी बोलती हैं, घुड़सवारी भी करती हैं। मॉडर्न ख्याल, टेक्नॉलॉजी-सेवी, शेक्सपीयर से लेकर होटल मैनेजमेंट तक पर बहस कर सकनेवाली छवि ग्राम पंचायत से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक में बैठकों में गाँव के हालात पर बोलती हैं तो अच्छे-अच्छों की बोलती बंद हो जाती है. उनसे मिलने 19 नवम्बर को यूएसए के सबसे बड़े प्रांत वर्जिनिया की प्रथम महिला नागरिक डॉर्थी मैक कॉलिंस शिष्टमंडल के साथ आई थीं.
रॉस द्वीप, अंडमान की 'डॉक्टर डूलिटिल' यानी अनुराधा राव. अंडमान निकोबार जाना हो तो वहां सेल्युलर जेल देखने जाइये और रॉस द्वीप जाकर अनुराधा राव से भी ज़रूर मिलिए, वरना आपकी यात्रा बेकार रहेगी. ब्रिटिश नेविगेटर डैनियल रॉस के नाम पर इसका नामकरण हुआ है, लेकिन इस द्वीप का नाम अनुराधा राव के नाम पर होना चाहिए. 52 साल की अनुराधा प्राइवेट टूर ऑपरेटर हैं, लेकिन वे इस द्वीप की असली पहचान हैं.
आपने दूध उत्पादकों, किसानों, व्यापारियों, महिला संगठनों, मजदूरों आदि के कोऑपरेटिव मूवमेंट के बारे में सुना होगा, पर आज मैं आपको मिलवा रहा हूँ, कल्चरल कोऑपरेटिव मूवमेंट के साथी जयंत भिसे से. यह विचार संस्कृतिकर्मी सुधाकर काळे का था; अमली जामा पहनाया जयंत भिसे ने.
वे फेसबुक पर तो हैं, पर महीनों यहाँ झांकती भी नहीं. फेसबुक को 'टाइम किलिंग मशीन' समझती हैं वे, क्योंकि कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं. वे इंदौर में लोगों के नेत्रदान करवाती हैं. उनकी संस्था को अब तक 4 हजार 386 आंखें दान में प्राप्त हुई है। उनकी मेहनत से हजारों लोगों को रोशनी मिली है.
वे शुजालपुर के ज़मींदार परिवार के है. कभी 'कमिंग होम टु सियाराम' के लिए मॉडलिंग भी की, अब 'गृहस्थ संत' हैं. परिवार पुणे में रहता है और वे देश भर में घूमते रहते हैं. महाराष्ट्र के संतों की परंपरा को वे नए तरीके से बढ़ा रहे हैं. बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हैं. कम बोलते हैं. पीएम-सीएम हों या प्यून, सब से समान बर्ताव करते हैं. रोज 16 से 18 घंटे काम करते हैं.
प्रोफेसर अनिल गुप्ता पढ़े-लिखे दशरथ मांझी है. जी हाँ, आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता की तुलना किसी से हो सकती है, तो दशरथ मांझी से. दशरथ मांझी अगर पढ़े-लिखे होते, तो प्रो. अनिल गुप्ता की तरह ही होते. दूरदृष्टा, जिद्दी, खब्ती, अड़ियल, धुनी - व्यापक हित में काम करने वाले.