मुझे पत्रकारिता में लाने वाले श्री राजेन्द्र माथुर को समर्पित यह पर्सनल वेबसाइट पत्रकारिता पर चर्चा करने का निमित्त मात्र है। मैं कुछ भी कर लूं- पूरे जीवन में पत्रकार के रू में मेरा कद श्री माथुर के घुटनों तक भी नहीं पहुंच सकता।
श्री राजेन्द्र माथुर पारस समान थे और मैंने हमेशा उनके पास जाने की, उन्हें छूने की कोशिश की। गाली और दलाली में तब्दील होती जा रही पत्रकारिता के इस दौर में भी श्री राजेन्द्र माथुर कभी अप्रासंगिक नहीं होंगे। श्री राजेन्द्र माथुर के प्रशंसकों का बड़ा वर्ग रहा है। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह से लेकर टाइम्स ऑ इंडिया के सम्पादक श्री गिरिलाल जैन तक उनके लेखन के कायल रहे।
पत्रकारिता में एक नई रुपक शैली, भाषा को एक नया मुहावरा देने वाले श्री राजेन्द्र माथुर के बारे में जितना भी कहा जाए, कम ही होगा।