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सोनू निगम ट्विटर पर काफी लोकप्रिय हैं। वे नियमित रूप से ट्विटर पर अपने पोस्ट शेयर करते आ रहे थे, लेकिन अब उन्होंने ट्विटर को बाय-बाय बोल दिया है। इसी के साथ ट्विटर ने अपनी ओर से पहल करते हुए गायक अभिजीत का अकाउंट भी कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया है। सोनू निगम जहां अपने ट्वीट में अपने निजी क्षणों के अलावा हल्के-फुल्के संदेश लिखते रहे हैं, वहीं अभिजीत के ट्वीट तीखे और जज्बाती होते हैं।
जम्मू और कश्मीर में आतंकियों के मददगार और पत्थर फेंकने वाले सोशल मीडिया का उपयोग करके उन्माद फैला रहे है। सरकार ने एक महीने के लिए जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया पर रोक लगा दी है। इससे सुरक्षा बलों के खिलाफ संदेशोें का आदान-प्रदान कठिन हो जाएगा और शायद आतंकी गतिविधियों में भी कमी आए। एक सरकारी आदेश के अनुसार सोशल मीडिया का उपयोग करके अशांति फैलाने में जिन वेबसाइट का उपयोग हो रहा है, उनका उपयोग प्रतिबंधित किया गया है। इस कारण जम्मू-कश्मीर में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप, यू-ट्यूब, फ्लिकर, वि-चैट, टम्बलर, क्यू-झोन, गूगल प्लस, विबोर, स्नैपचेट, टेलीग्राम, प्रिंटरेस्ट, लाइन, बाइडू सहित कुल 22 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग रोका गया है।
सोनू निगम के बारे में लोग कुछ भी कहें, अजान विवाद के बाद उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ट्विटर पर तीन दिनों में ही 25 हजार से अधिक फॉलोअर बढ़ गए। ट्विटर पर सोनू निगम की लोकप्रियता की तुलना अगर किसी से की जा सकती है, तो लता मंगेशकर से। लताजी के ट्विटर पर सोनू निगम से करीब आठ लाख ज्यादा फॉलोअर्स है। सोनू निगम आमतौर पर अपनी गतिविधियों को फॉलोअर्स के साथ शेयर करते रहते हैं। इसमें उनके निजी अनुभव, पारिवारिक चित्र, व्यावसायिक गतिविधियां और अन्य गतिविधियां शामिल है। लता मंगेशकर के अलावा आशा भोंसले, कैलाश खेर, शान आदि भी ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं। इनमें कैलाश खेर के फॉलोअर्स सबसे कम है। फिर भी यह संख्या साढ़े पांच लाख से अधिक है। कैलाश खेर ट्विटर पर किसी को भी फॉलो नहीं करते। लताजी और आशाजी बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के अलावा अन्य गायकों के ट्विटर अकाउंट भी फॉलो करती हैं।
आमतौर पर फिल्मी कलाकार सोशल मीडिया पर अपनी फिल्मों के प्रचार का ही अभियान चलाते हैं, लेकिन अभय देओल उन कलाकारों में से नहीं है। उन्होंने गोरेपन के क्रीम बेचने वालों के खिलाफ फेसबुक पर एक अभियान चला रखा है। इस अभियान में उन्होंने फिल्म बिरादरी के शाहरुख खान, जॉन अब्राहम, दीपिका पादुकोण, विद्या बालन, सुशांत सिंह राजपूत, यामी गौतम, दिया मिर्जा, आसिन, करीना कपूर और शाहिद कपूर जैसे लोगों को भी नहीं बख्शा। ये सभी फिल्म कलाकार गोरेपन की क्रीम का विज्ञापन करते है। अभय देओल ऐसा कोई विज्ञापन नहीं करते। अभय देओल का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन नस्लवाद को बढ़ावा दे रहे है और काले तथा गोरे लोगों के बीच भेदभाव बढ़ा रहे हैं। ये विज्ञापन कहते हैं कि अगर किसी का रंग गोरा है, तो वह सुंदर है, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है। सुंदरता और गोरेपन का कोई ताल्लुक नहीं है। क्या अफ्रीकी लोग सुंदर नहीं होते?
कई पढ़े लिखे और सम्भ्रांत लोग सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है, लेकिन लगता ही नहीं कि वे पढ़े-लिखे है या उनमें कोई तहजीब भी है। सोशल मीडिया के बारे में पर्याप्त समझ का अभाव होने के कारण कई बार ऐसी स्थितियां पैदा हो जाती है, जो सोशल मीडिया यूजर को हंसी का पात्र बना दे। आए दिन आप ऐसे लोगों से वर्च्युअल दुनिया में मिलते रहते है। जरूरी नहीं कि आप इनके बारे में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करो।
खुद को प्रगतिशील और लोकतांत्रिक बताने वाले अनेक लेखक और वरिष्ठ पत्रकार आजकल कुंठित जीवन जी रहे है। यह कुंठा सोशल मीडिया पर साफ नजर आती है। ऐसे दर्जनों बुद्धिजीवियों के स्टेटस पर जाकर देखो तो पता चलता है कि वे दिनभर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के खिलाफ भड़ास निकालते नजर आते हैं। अगर उनकी पोस्ट पर कोई नकारात्मक टिप्पणी लिख दे, तो तत्काल उसे ब्लॉक या अनफ्रेंड कर देते हैं। आप तो बुद्धिजीवी हैं, लोकतंत्र के हिमायती हैं, तो आप भी थोड़े लोकतांत्रिक क्यों नहीं हो जाते। आपकी पोस्ट के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के प्रति उदार रुख क्यों नहीं रखते? यदि आप उनकी बात से सहमत नहीं है, तो विचारों और तर्कों से उसका जवाब दीजिए।