अमेरिकी डायरी के पन्ने (2)

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इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ५० साल पुराना है। वाराणसी का बनारस हिन्दू विद्यालय १०० साल पुराना है और कोलकाता विश्वविद्यालय १९८ साल। कोलकाता विश्वविद्यालय भारत का सबसे पुरातन विश्वविद्यालय है, लेकिन अमेरिका के न्यू जर्सी क्षेत्र में न्यू ब्रुंसविक का रटगर्स विश्वविद्यालय २५० साल पुराना है। जब अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने के लिए रटगर्स विश्वविद्यालय जाने का मौका मिला, तो वह अपने आप में बेहद सुखद अनुभव रहा।

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अमेरिकी डायरी के पन्ने (1)

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न्यू यॉर्क के लिबर्टी स्ट्रीट पर 33 नंबर की बिल्डिंग है फेडरल रिजर्व बैंक। मोटे-मोटे शब्दों में कहा जाए तो इस बैंक का काम वहीं है जो भारतीय रिजर्व बैंक का है, लेकिन इस बैंक में अमेरिकी सरकार की हिस्सेदारी नहीं है और न ही इसकी संपत्तियां अमेरिकी सरकार की हैं। जैसे भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों का बैंक है वैसे ही फेडरल बैंक अमेरिका के बैंकों का बैंक है। अमेरिका यात्रा के दौरान इस बैंक का एक शैक्षणिक टूर बड़ा दिलचस्प और यादगार रहा।

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ashokहिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित कराने के अभियान में जुटे है अशोक ओझा। अमेरिका में न्यू जर्सी के एडिसन निवासी अशोक ओझा मूलत: पत्रकार है। टाइम्स ऑफ इंडिया समूह में पत्रकारिता और मुंबई में फिल्में बनाने के बाद वे अमेरिका में बस गए। यहां भी उनका पत्रकारिता का दौर जारी रहा। इसी के साथ उन्होंने बीड़ा उठाया हिन्दी के शिक्षण का। अपने पत्रकारी और फिल्म निर्माण के अनुभव को उन्होंने हिन्दी के विकास से जोड़ा और केन विश्वविद्यालय में स्टार टॉक नाम का कार्यक्रम शुरू किया। तीन साल से पेंसिलवेनिया के स्वूâलों में उनका हिन्दी स्टार टॉक प्रोग्राम बेहद लोकप्रिय है। सैकड़ों स्वूâलों के विद्यार्थी इस माध्यम से हिन्दी सिख रहे है।

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आज जिस भाषा को हम हिन्दी कहते है। वह आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप है। आर्यों की प्राचीनतम भाषा वैदिक संस्कृत रही है, जो साहित्य की भाषा थी। वेद, संहिता और उपनिषदों व वेदांत का सृजन वैदिक भाषा में हुआ था। इसे संस्कृत भी कहा जाता है। अनुमान है कि ईसा पूर्व आठवीं सदी में संस्कृत का प्रयोग होता था। संस्कृत में ही रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ रचे गए। संस्कृत का साहित्य विश्व का सबसे समृद्ध साहित्य माना जाता है, जिसमें वाल्मीकि, व्यास, कालीदास, माघ, भवभूती, विशाख, मम्मट, दण्डी, अश्वघोष और श्री हर्ष जैसी महान विभूतियों ने योगदान दिया।

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न्यू जर्सी के अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में ऐसे अनेक हिन्दी सेवियों से सम्पर्वâ हुआ, जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं है। इनमें से कोई बेल्जियम में जन्मा, तो कोई अमेरिका में। लेकिन हिन्दी के प्रति उनका अनुराग उल्लेखनीय महसूस हुआ। इन अनूठे हिन्दी सेवियों से मिलकर वास्तव में खुशी और गर्व का अहसास हुआ, क्योंकि इनमें से कई तो ऐसे थे जो न कभी भारत आए और न ही उनका पेशा हिन्दी से जुड़ा था।

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न्यू जर्सी में हुए अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में न्यू जर्सी क्षेत्र में हिन्दी के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। इसका उद्देश्य होगा हिन्दी के साथ-साथ सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देना। इस केन्द्र की स्थापना के लिए न्यू यॉर्वâ स्थित भारतीय काउंसल जनरल श्री ध्यानेश्वर मूले ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के आयोजक और हिन्दी संगम फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री अशोक ओझा के अनुसार यह केन्द्र हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए कार्य करेगा। श्री मूले ने आशा व्यक्त की कि यह केन्द्र हिन्दी सिखने वालों के लिए काफी मददगार होगा और दुनियाभर के हिन्दी केन्द्रों और विश्वविद्यालयों से मिलकर हिन्दी के विकास के लिए कार्य करेगा।

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