डॉ. पल्लवी अभी 31 की हैं. वे केवल 28 साल की उम्र में यूएसए की यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गई थीं । वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डाटा एनालिटिक्स (Big data analytics is the process of examining large data sets containing a variety of data types) के क्षेत्र में काम कर रही है. कैंसर की बीमारी का पता लगाने और उसके इलाज में पल्लवी और उनकी टीम के प्रयास महत्वपूर्ण हैं.
अभी कैंसर के इलाज के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसमें परिपूर्णता नहीं है। किसी को कैंसर की बीमारी है या नहीं, इसकी जांच कठिन है. कोई बायप्सी की रिपोर्ट देखता है, कोई ब्लड टेस्ट देखता है, कोई एमआरआई के स्केन की पड़ताल करता है. यह पता चल भी जाए तो इलाज मुश्किल है. इलाज में सभी मरीजों को कीमोथैरेपी दे दी जाती है. रेडियेशन, बोलचाल की भाषा में जिसे कोबाल्ट का सेक कहते है, वह भी सभी मरीजों को दे दिया जाता है. कहीं सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है. ये सभी इलाज बेहद दर्दनाक तो हैं ही, बेहद महंगे भी है और अगर किसी को कैंसर हो जाए, तो उसकी संपत्ति बिकने की नौबत आ जाती है. इसके बाद भी मरीज के जीवन की कोई ग्यारंटी नहीं है. कैंसर के इलाज के बाद कोई एक महीने बाद ही दम तोड़ देता है, तो कोई 10-12 साल तक आराम से जीवन जी लेता है.
आपने स्टार ट्रैक यूनिवर्स में कलाकारों को ट्रायकॉर्डर यंत्र का उपयोग करते देखा होगा, जिसमें एक छोटे से डिवाइस से सेंसर स्केनिंग, डाटा एनेलिसिस और डाटा को रिकॉर्डिंग करते हुए दिखाया जाता है. इससे आगे का सोचनेवाली पल्लवी इसी क्षेत्र में 9 साल से काम कर रही हैं. यह काम कैंसर की चिकित्सा के क्षेत्र में है. उनकी टीम की खोज यह है कि कंप्यूटर की मदद से मशीनें शरीर को स्केन करने के बाद कैंसर की बीमारी, उसकी आक्रामकता बता देती है.
पल्लवी की टीम जिस अभियान में लगी है वह कैंसर की पर्सनलाइज मेडिसिन के क्षेत्र से जुड़ा है. इस तरह की चिकित्सा की बात अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल ही में की थी. पल्लवी और उनकी टीम कम्प्यूटर इमेजिंग (एमआरआई) के माध्यम से कैंसर की चिकित्सा में आने वाली मुश्किलों को कम करने में जुटी हुई है. कैंसर के जीवाणु मनुष्य के शरीर के किस हिस्से में हैं, वे किस दिशा में बढ़ रहे है इसे खाली आंखों से नहीं देखा जा सकता, लेकिन कम्प्यूटर स्केनर उसे पकड़ सकते हैं. पल्लवी की टीम कम्प्यूटर की मदद से यह पड़ताल करने में काफी हद तक सफल हुई है कि मरीज का कैंसर किस हद तक जटिल है. कम्प्यूटर के माध्यम से ही ब्लड टेस्ट, एमआरआई और बायप्सी की रिपोर्ट को एक साथ संयोजित करके उस बीमारी से पीड़ित मरीज को दी जाने वाली चिकित्सा का पैमाना तय किया जा सकता है. अभी अधिकांश कैंसर अस्पतालों में मरीजों को अंधाधुंध कीमोथैरेपी और रेडियेशन दिया जा रहा है, जिससे मरीज को फायदे के बजाय कई बार नुकसान उठाना पड़ता है. वर्तमान चिकित्सा पद्धति में अनावश्यक कीमोथैरेपी और रेडियेशन से कैंसर के जीवाणु तो मरते ही हैं, साथ ही जीवन रक्षक जीवाणु और मानव शरीर में मौजूद मित्र-जीवाणु भी नष्ट हो जाते है. जरूरत से ज्यादा डोज़ देने के कारण कई बार इलाज ही मरीज़ की जल्दी मौत का कारण बन जाता है.
पल्लवी और उनकी टीम जिस क्षेत्र में काम कर रही है, उसमें कैंसर की उपस्थिति और उसकी आक्रामकता के बारे में कम्प्यूटर साफ्टवेयर सही-सही आकलन करके बता देता है. इससे उस मरीज को सही-सही चिकित्सा उपलब्ध कराना आसान हो जाता है. सॉफ्टवेयर यह भी बता देता है कि जो इलाज किया जा रहा है, उसके परिणाम अपेक्षित रूप से मिल भी पा रहे है या नहीं. अगर इलाज के परिणाम अपेक्षित नहीं होते है, तो चिकित्सा में काम आने वाली दवाइयों और थैरेपी को बदला जाता है. वर्तमान में पल्लवी विश्व के 6 बड़े विश्व विद्यालयों और मेडिकल कॉलेज के कोलैबरेशन में रिसर्च कर रही हैं, जिनमें क्लीवलैंड, टेक्सास, बॉस्टन, रटगर्स और हांगकांग विश्विद्यालय तथा प्रसिद्ध क्लीवलैंड क्लिनिक शामिल हैं. जो काम वे अभी यूएसए में रहकर कर रही हैं, भारत में वैसी रिसर्च के पर्याप्त संसाधन और माहौल शायद नहीं हैं. भारत में उन्हें क्लिनिकल रिसर्च में अपेक्षित सहयोग की दरकार है.
कैंसर की बीमारी का पता लगाने और उसके इलाज में पल्लवी और उनकी टीम के प्रयास महत्वपूर्ण हैं. आईबीएन के रोबोट वाटसन की तरह पल्लवी और उनकी टीम की खोज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इस रिसर्च मेंं बिग डेटा की जरूरत होती है। उसी के आधार पर रिसर्च आगे बढ़ती है. पल्लवी और उनकी टीम के नाम पर इस खोज में कई पेटेंट का क्रेडिट है. अब वे एक नए स्टार्टअप की तैयारी में है, जो कैंसर की चिकित्सा से संबंधित होगा. पल्लवी के सहयोगी व परिजन के इस स्टार्टअप परियोजना पर काम कर रहे हैं.
पल्लवी का इ मेल है : This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.
अभी वे भारत में हैं : संपर्क +91 94240 11334.
पल्लवी की टीम के नाम दर्ज पेटेंट्स के बारे में यहाँ जान सकते हैं : http://goo.gl/zvrr69