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राम मंदिर, सीएए, ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 के बाद अब कॉमन सिविल कोड का मुद्दा उठाया जा रहा है। इसी मुद्दे पर संविधान के अध्येता और सामाजिक कार्यकर्ता सचिन कुमार जैन से चर्चा शाम 6 बजे

भोपाल में गृहमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाना है। उसका ड्रॉफ्ट तैयार किया जा रहा है। कॉमन सिविल कोड के बाद आम जनजीवन पर क्या असर पड़ेगा? इसी की पड़ताल लाइव में...

Uniform Civil Code: देश में एक बार फिर से समान नागरिक संहिता पर बहस शुरू हो गई है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है. लेकिन सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार का ऐसा करने का अधिकार है.

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में बीजेपी के पुष्कर सिंह धामी को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद मिल गया है. मुख्यमंत्री के लिए जैसे ही उनका नाम तय हुआ, वैसे ही उन्होंने फिर से समान नागरिक संहिता का सुर छेड़ दिया. उन्होंने कहा कि सत्ता संभालते ही सारे वादों को पूरा किया जाएगा, जिसमें समान नागरिक संहिता का वादा भी शामिल है. धामी चुनाव प्रचार के दौरान भी कई बार समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कर चुके हैं.

समान नागरिक संहिता एक ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से बीजेपी के एजेंडे में रहा है. 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का मुद्दा शामिल किया. 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को शामिल किया था. बीजेपी का मानना है कि जब तक समान नागरिक संहिता को अपनाया नहीं जाता, तब तक लैंगिक समानता नहीं आ सकती.

समान नागरिक संहिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट तक सरकार से सवाल कर चुकी है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई. वहीं, पिछले साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा था कि समान नागरिक संहिता जरूरी है.

समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून. अभी होता ये है कि हर धर्म का अपना अलग कानून है और वो उसी हिसाब से चलता है.
- हिंदुओं के लिए अपना अलग कानून है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों से जुड़ी बातें हैं. मुस्लिमों का अलग पर्सनल लॉ है और ईसाइयों को अपना पर्सनल लॉ. - समान -नागरिक संहिता को अगर लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के लिए फिर एक ही कानून हो जाएगा. मतलब जो कानून हिंदुओं के लिए होगा, वही कानून मुस्लिमों और ईसाईयों पर भी लागू होगा. - अभी हिंदू बिना तलाक के दूसरे शादी नहीं कर सकते, जबकि मुस्लिमों को तीन शादी करने की इजाजत है. समान नागरिक संहिता आने के बाद सभी पर एक ही कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या मजहब का ही क्यों न हो.

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