आमतौर पर लोग अपने बच्चों के फोटो सोशल मीडिया पर जमकर शेयर करते है। अपने बच्चों के हर गतिविधि वे दुनिया को बताना चाहते है, कई लोग तो ऐसे है, जो अपने बच्चों के जन्मदिन हर महीने मनाते है और लिखते है कि आज मेरा बेटा या बेटी इतने महीने के हो गए। बच्चों की पसंद-नापसंद, उनके कपड़े आदि के बारे में अभिभावक सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं। भारत में तो नवजात शिशुओं के फोटो भी शेयर करने की परंपरा बन गई है। मैं पिता बन गया या चाचा बन गया जैसे शीर्षक के साथ नवजात शिशु की तस्वीरें फेसबुक पर देखने को मिल जाती है।
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकेरबर्ग, उनकी पत्नी प्रिसिला चान के दो बच्चे हैं, मैक्सिमा और आगस्त। क्या आपने कभी फेसबुक पर जुकेरबर्ग के फोटो इन बच्चों के साथ देखें हैं। काफी खोजबीन पर पता चला कि 8 महीने पहले थैंक्सगिविंग डे पर जुकेरबर्ग ने इन बच्चों के साथ फोटो शेयर किए थे। जुकेरबर्ग की पत्नी चान ने गत अप्रैल में अपनी बेटी मैक्सिमा की एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें उसकी शक्ल पूरी तरह नहीं दिख रही थी। उस तस्वीर में मैक्सिमा कोई खेल खेल रही थी। खास बात यह है कि ये दोनों तस्वीरें पब्लिक के लिए शेयर नहीं की गई थी, बल्कि खास समूह में ही शेयर की गई थी। क्या आपने कभी सोचा है कि फेसबुक तो जुकेरबर्ग की घर की दुकान है, चाहे जितनी तस्वीरें, वीडियो और जिफ फाइलें वे सोशल मीडिया पर डाल सकते हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं करते। उन्हें ये सब बातें निर्थक लगती है, उन्हें लगता है कि पारिवारिक जीवन अलग होता है और प्रोफेशनल जीवन अलग। उन दोनों में कभी घालमेल नहीं करना चाहिए। भारत में ऐसा नहीं है।
सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म के शीर्ष अधिकारियों का भी यही हाल है। क्या आपने कभी स्नैपचेट के सीईओ इवन स्पीगल या उनकी पत्नी मिरंदा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर बच्चों के फोटो देखे है। इंस्टाग्राम पर उनके करीब सवा करोड़ फॉलोअर्स हैं। वे क्यों नहीं अपने बच्चों के फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर करते है?
माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख बिल गेट्स के बच्चों की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर नहीं दिखती। स्टीव जॉब्स तो नहीं रहे, लेकिन अपने जीते जी उन्होंने कभी अपने परिवार के नन्हें-मुन्हों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर नहीं की।
ऐपल के सीईओ टीम कुक ने कुछ दिन पहले मीडिया से कहा था कि उनके कोई बच्चे नहीं है, लेकिन उनका एक भतीजा जरूर है। भतीजे के सामने उन्होंने कुछ सीमाएं निश्चित कर दी है। टीम कुक के भतीजे को वे सीमाएं लांघने की अनुमति नहीं है। 13 साल के उस बच्चे को सोशल मीडिया के पास भटकने भी नहीं दिया जाता।
यू-ट्यूब ने कुछ समय पहले एक अपील जारी करके लोगों से कहा था कि वे अपने बच्चों को यू-ट्यूब के वीडियो से दूर रखें। यू-ट्यूब के अल्गोरिदम ऐसे है कि बच्चे आसानी से अपने माता-पिता द्वारा देखे गए वीडियो खोज सकते है। जरूरी नहीं है कि जो वीडियो बड़े लोगों को पसंद आए, वे छोटे बच्चों के देखने लायक हो। ब्राजिल के एक परिवार में दंपत्ति अपने स्वीमिंग के वीडियो शूट कर रहे थे। उनके छोटे बच्चे ने मोबाइल फोन हाथ लगते ही उन्हें देखा और शेयर करना शुरु कर दिया। हालांकि उन वीडियो में आपत्तिजनक बात कुछ नहीं थी, लेकिन स्वीमिंग पुल में दंपत्ति के वीडियो प्रमोट होते देर नहीं लगी। यह सब अनजाने में ही हुआ।
भारत में बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचने की सलाह दी जाती है, इसका एक मुख्य कारण असामाजिक तत्वों से अपने बच्चों को बचाना भी होता है। सोशल मीडिया पर बच्चों की तस्वीरें देखकर असामाजिक तत्व उन्हें नुकसान पहुंचाने की बात सोच सकते है। ऐसे प्रकरण हुए भी है, जब अपराधियों ने सोशल मीडिया पर बच्चों की तस्वीरें देखकर उन्हें अपहृत किया और बड़ी फिरौती की मांग की। मामले पुलिस के पास गए और कई मामलों में बच्चों को शारीरिक क्षति भी पहुंची। विकसित देशों में बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह निजता के अधिकार के तहत उपलब्ध है। वहां तो बच्चे इस बात पर भी आपत्ति करते है कि उनके माता-पिता उनक तस्वीरें सोशल मीडिया पर क्यों शेयर करते है? कई जगह तो बच्चों की तस्वीरें शेयर करने के पूर्व उनकी अनुमति भी ली जाती है। भारत में माना जाता है कि बच्चों पर अभिभावकों का पूरा अधिकार है और निजता को यहां उतना महत्व नहीं दिया जाता।