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सेलेब्रिटी जो न करें, कम है। उनकी हर चीज व्यावसायिक है। हिन्दी कहावत है ना कि जहां नाम है, वहां नामा! मतलब अगर आप फेमस हो गए, तो दौलत कमाना कठिन नहीं। इसे उल्टा करके भी देख सकते है कि अगर आप बिलेनायर हो गए, तो फेमस भी हो ही जाएंगे। दुनियाभर में देवताओं की तरह पूजे जाने वाले खिलाड़ी, अभिनेता, लेखक और अन्य सेलेब्रिटी पैसा कमाने के लिए क्या-क्या नहीं करते? वे कहते है कि हमें हर काम का पैसा मिलता है, तो चार्ज कर लेते हैं। जब देने वाले को तकलीफ नहीं, तो लेने वाले को क्या कष्ट? सोशल मीडिया पर मैसेज, ट्विट, ब्लॉग आदि हर चीज का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है और यह कारोबार कोई नया नहीं।

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मैं इन सोशल वेबसाइट्स पर विज्ञापनों की बात नहीं कर रहा हूं। अखबार और टीवी वाले तो पेड न्यूज के नाम पर बदनाम हैं ही। अब सोशल मीडिया भी धीरे-धीरे लोगों के सामने खुलकर आ रहा है। जो एक्ट्रेस किसी खास ब्रांड के साबुन या क्रीम का विज्ञापन करती हैं, जरूरी नहीं कि वे उन्हें वापरती भी हों। हमारी सेलेब्रिटीस को इंडियन प्रोडक्ट कहां पसंद आते है। सरोगेट विज्ञापनों की कमाई से भी बड़े-बड़े सितारों को चैन नहीं। सोडे और सीडी के नाम पर शराब के सरोगेट विज्ञापन करते है। जाने-माने सितारे पान मसाला से लेकर अंडरगारमेंट्स तक के विज्ञापन में हिचकिचाते नहीं, चाहे सलमान खान या अजय देवगन, सनी देओल हो या सैफ अली खान। ये सभी सितारे बिलेनायर हैं, लेकिन कमाई का कोई मौका छोड़ते नहीं। शाहरुख खान तो शादी-ब्याह की पार्टी में जाकर डांस के ठुमके लगाने का भी करोड़ों ले लेते है। वे उसकी वकालत भी करते हैं और कहते हैं कि उसमें गलत क्या है। अगर हमारे जाने से सामने वाले की गुडविल में ग्रोथ होती है और इमेज बिल्ड होती है, तो हमें भी इसमें क्यों कोताही बरतना चाहिए। शाहरुख खान ने तो सरोगेट विज्ञापन के पक्ष में कोर्ट में भी बयान दिया है और दावा किया है कि वे शराब नहीं पीते। न ही किसी शराब का विज्ञापन करते है। अगर नाम मिलता-जुलता हो तो इसमें उनकी क्या गलती है? बॉलीवुड में एक कहावत प्रचलित है कि स्टार को अगर मय्यत में भी जाना हो तो वे उसके भी पैसे मांग ले। एक दूसरी कहावत यह है कि मौका आने पर वे अपनी अंडरगारमेंट तक नीलाम करने में हिचकिचाते नहीं। ऐसे में सोशल मीडिया भी उनके लिए कमाई का एक अच्छा हिस्सा है।

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अमिताभ बच्चन को ब्लॉगिंग का शौक मुफ्त में नहीं हुआ। ब्लॉगिंग के एक खास प्लेटफार्म को प्रमोट करने के लिए उन्होंने करोड़ों रुपए वसूले। प्रिंट और टीवी के विज्ञापनों से तो उनकी कमाई है ही, यह कमाई फिल्मों से होने वाली कमाई से भी अधिक है। फेसबक पर अमिताभ बच्चन के पेज के लाखों फॉलोअर हैं। ट्विटर की दुनिया में भी अमिताभ बॉलीवुड के टॉप लोगों में है, लेकिन अभी तक यह बात उजागर नहीं हुई कि वे ट्विट करने के पैसे लेते है या नहीं। सोनाक्षी सिन्हा, प्रियंका चोपड़ा, शाहिद कपूर, कपिल शर्मा, रघुराम आदि ने तो अभी-अभी ट्विट को कमाई बनाया है। यूरोप में ट्विट के पैसे वसूलने का धंधा चार साल से चल रहा है। 140 कैरेक्टर के 1500 से लेकर 35000 डॉलर तक अगर मिले, तो किसको बुरे लगेंगे। ये 140 कैरेक्टर भी खुद थोड़े ही टाइप करना है। एंडोसमेंट एजेंसियां यानि विज्ञापन कंपनियां जब कांट्रेक्ट पेपर तैयार करती है, तब उसमें साफ-साफ लिख दिया जाता है कि आपको प्रिंट, टीवी, सोशल मीडिया पर प्रचार करना होगा। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण उन्हें लगता है कि इससे कारोबार में अच्छा मुनाफा होता है और ब्रांड की क्रेडिबिलिटी बनती है। यह कुछ वैसा ही है जैसे स्टार को फिल्म साइन करते वक्त ही बता दिया जाए कि फिल्म में एक्टिंग करने से काम नहीं चलेगा, फिल्म के प्रमोशन में भी समय देना होगा। प्रमोशन का मतलब देशभर के शहरों में फिल्म रिलीज होने के पहले चक्कर काटना और आम जनता के बीच जाकर फिल्म के बारे में बात करना। इतना ही नहीं फिल्म के प्रीमियर में उपस्थित होकर फिल्म की तारीफ करना।

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सोनाक्षी सिन्हा स्कूल के दिनों से ही सोशल मीडिया पर सक्रिय थी। ऑरकुट के जमाने में वे शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी के रूप में मेरी ऑरकुट फ्रेंड रही। ऑरकुट के पिछड़ने के बाद वे ट्विटर पर सक्रिय हुई और अब ट्विटर पर उनके करीब 53 लाख फॉलोअर है। इंडियन आयडल जूनियर में वे सेलेब्रिटी जज बनी है। जो लोग यह शो देखते है वे समझ सकते है कि गीत-संगीत के बारे में सोनाक्षी की समझ सीमित है, लेकिन स्टार होने का अपना महत्व है, इसलिए वे न केवल जज है बल्कि विशेष जज की तरह बर्ताव भी करती है। इसका मतलब यह कतई नहीं कि उनके भीतर संगीत के प्रति प्रेम जाग गया है। वे इस शो में आने के पैसे लेती है, जबकि शो के निर्माता प्रोग्राम में आने वाले कई लोगों से प्रचार के लिए पैसे लेते है। टीवी दर्शकों को ऐसा लगता है कि सबकुछ कला की सेवा के लिए हो रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है। पूरे-पूरे दिन की शूटिंग के दौरान सोनाक्षी अपने निजी कार्र्य पूरे करती रहती है और ऐसा प्रकट करती है कि उन्हें बहुत मजा आ रहा है। इस शो के फोटो और सूचनाएं वे ट्विटर पर शेयर भी करती है। सबकुछ इतना स्वभाविक लगता है मानो सोनाक्षी उस शो में उपस्थित होने के कारण शो की सूचना दे रही है। लेकिन यह सब पैसे लेकर होता है। पहले से ही तय एग्रीमेंट के अनुसार वे कमेंट करती है, जो स्क्रिप्ट रायटर लिखता है। शो में उनके कमेंट उनकी एक्टिंग का हिस्सा हैं और वे जो ट्विट करती हैं उनके बारे में उन्हें अच्छी खासी कमाई होती है। इसी तरह क्रिकेटर युुवराज सिंह जाने-माने सेलेब्रिटी है। वे ट्विटर पर एक खास ब्रांड की तारीफ करते है और उस तारीफ के पैसे लेते है। कॉमेडियन कपिल शर्मा अपने ट्विट में होंडा ब्रांड को प्रमोट करते है और उसके वे पैसे लेते है। प्रियंका चोपड़ा के फॉलोअर ट्विटर पर एक करोड़ से भी अधिक है और वे ट्विटर पर इंडोर्समेंट के 10 से 12 लाख रुपए लेती है। यह सब इतना स्वाभाविक होता है कि आम आदमी को लगता है कि उनके स्टार की यहीं पसंद है। कंपनियों को लगता है कि इस तरह की ब्रांडिंग से उनके ब्रांड की वेल्यू ज्यादा अच्छी तरह बढ़ती है।

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पश्चिम में ट्विट से कमाई करने का धंधा चार साल से भी ज्यादा पुराना है। वहां सेलेब्रिटी, हर एक ट्विट के हिसाब से अलग-अलग चार्ज करती है। इनमें मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी, टीवी कलाकार, गायक और अभिनेता, अभिनेत्री शामिल है। पश्चिम में फॉलोअर्स की संख्या उतनी मायने नहीं रखती, जितनी स्टार की क्रेडिबिलिटी। टीवी पर्सनेलिटी खोले कार्दशियान के केवल पांच हजार फॉलोअर है, लेकिन एक ट्विट का आठ हजार डॉलर (पांच लाख से भी ज्यादा रुपए) लेती है। कीम कार्दशियान के 3 करोड़ 53 लाख फॉलोअर है और वे एक ट्विट के 35 हजार डॉलर (करीब सवा दो करोड़ रुपए) तक लेती है। पुâटबॉलर स्टार टेरेल के करीब 14.5 लाख फॉलोअर है और वे एक रिसोर्ट की तारीफ में ट्विट करते है, तो पांच हजार डॉलर (करीब सवा तीन लाख रुपए) लेते है। पश्चिम में जरूरी नहीं कि सेलेब्रिटी फिल्म अभिनेता ही हो। वहां लेखक भी सेलेब्रिटी है। स्पेन, ब्राजील, आस्ट्रेलिया आदि देशों में गायक कलाकार भी ट्विट करने के पैसे लेते है। भारत में अब यह ट्रेंड ज्यादा नहीं बढ़ा है, लेकिन कुछ मीडिया हाउस ने ट्विट और हेशटेग के पैसे लेना शुरू कर दिए है।

भारत में ऐसे लोगों की संख्या काफी है, जिनके फॉलोअर लाखों में है, लेकिन ट्विटर पर यह लोग घोस्ट नाम से जाने जाते हैं। इनमें अधिकतर वे लोग है, जो किसी न किसी विज्ञापन एजेंसी के लिए कार्य करते है, इन विज्ञापन एजेंसियों के क्लाइंट में पॉलीटिकल पार्टियां ही ज्यादा होती है। कई नेता और मंत्री इन विज्ञापन एजेंसियों को ठेका दे देते है। अलग-अलग नामों से इन नेताओं के नाम प्रशंसा भरे ट्विट होते रहते है। इसलिए अगर किसी नेता का ट्विट आपको प्रभावी लगे तो इसका मतलब यह मत समझ लीजिएगा कि वह ट्विट नेता जी ने ही किया है। यह बात कहीं जा सकती है कि उनके कारिंदे ज्यादा बुद्धिमान है। सोशल मीडिया की शुरुआत में हमें लगता था कि इइसके माध्यम से आप जनभावनाओं को समझ सकते है, लेकिन अब ऐसा सोचने का भी कोई कारण नजर नहीं आता, क्योंकि कुछ राष्ट्रीय नेताओं के लिए तो सौ-सौ लोगों की टीम सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती है।

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