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सोशल मीडिया का बेहतरीन उपयोग अगर कोई विभाग कर रहा है, तो वह भारतीय रेल है। रेल मंत्री से लेकर आला अधिकारी तक सभी यात्रियों से सतत् संपर्क में रहते हैं। करोड़ों रेल यात्रियों से लगातार संपर्क बनाए रखना, उनकी शिकायतों, सुझावों को सुनना जैसे महत्वपूर्ण कार्य रेल विभाग सोशल मीडिया की मदद से कर रहा है। एक असंभव काम सोशल मीडिया ने बेहद आसान बना दिया है। रेल विभाग ने सोशल मीडिया का महत्व समझा और उस पर काम किया, यहीं उसकी खासियत है।

सन् 1853 में स्थापित भारतीय रेल दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसके करीब 7 हजार स्टेशन और 1 लाख 15 हजार किलोमीटर लंबा रेलवे ट्रैक है। करीब ढाई करोड़ यात्री हर रोज करीब 12 हजार ट्रेनों में सफर करते है (माल गाड़ियां अलग)।

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सन् 2002 में जब रेलवे ने ई-टिकटिंग की शुरूआत की, तब 100 टिकट हर रोज जारी किए जाते थे। आज यह संख्या बढ़कर प्रति मिनिट 10 हजार टिकटों से भी ज्यादा हो गई है। कहां सौ टिकट प्रतिदिन थे और कहां 10 हजार टिकट प्रति मिनिट। आज हाल यह है कि रेलवे स्टेशन पर बुकिंग काउंटरों की भीड़ बहुत कम हो गई है और यात्री ऑनलाइन टिकट खरीदते है और खानपान संबंधी निर्देश भी ऑनलाइन ही देते है। रेलवे टिकट बुकिंग की वेबसाइट भारत की सबसे ज्यादा देखी और उपयोग की जाने वाली वेबसाइट है।

भारतीय रेलवे ने अपने करोड़ों यात्रियों से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग जबरदस्त तरीके से कर रखा है। इसकी पहली झलक रेलवे बजट के दौरान ही देखने को मिल गई थी। जब प्रधानमंत्री और रेल मंत्री दोनों ने भारतीय रेलवे की योजनाओं के संबंध में बार-बार ट्विट करके लाखों लोगों तक सीधा अपना संदेश भेजा था।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय है। करीब 3 लाख फालोअर ट्विटर पर उनके सीधे संपर्क में है। फेसबुक पर भारतीय रेलवे का पेज सबसे लोकप्रिय पेज में है। भारतीय रेल के ट्विटर पर साढ़े चार लाख से ज्यादा फॉलोअर है और फेसबुक पर करीब पौने चार लाख। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सभी डीआरएम और जनरल मैनेजर्स को यह निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने सोशल मीडिया के पेज बनाएं। इस तरह सोशल मीडिया पर रेल विभाग के दर्जनों अकाउंट खुले हुए हैं।

सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय रेल अपने ग्राहकों यानि यात्रियों से हर तरह के मशविरा करता है। समयसारणी, सफाई व्यवस्था, खान-पान की व्यवस्था, यात्रियों की शिकायतें, सुझाव, भविष्य की योजनाएं, रेलवे के विकास की संभावनाएं, विकास की संभावनाएं, यात्रियों से संबंधित जानकारियां, नई नीतियां, नई खोजें, रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार, नई रेल गाड़ियों की सूचनाएं... कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां रेल मंत्रालय सोशल मीडिया पर लोगों की राय नहीं लेता। अच्छी बात यह है कि यात्रियों की राय का सम्मान भी किया जाता है और उन्हें इसके बारे में बताया जाता है।

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सोशल मीडिया पर रेलवे की इन सोशल मीडिया साइट पर यात्रियों के सुझाव पर गौर किया जाता है और शिकायतों का निराकरण भी किया जाता है। अधिकारी खुद इस बारे में जवाब देते है। इस सब का फायदा यह हुआ है कि रेलवे के काम में बड़े पैमाने पर पारदर्शिता आई है। यात्री महसूस करते है कि अब रेल यात्रा के दौरान वेटिंग टिकट वालों को यहां वहां भटकना नहीं पड़ता। टीटीई को रिश्वत नहीं देनी पड़ती। यात्रियों से अच्छा व्यवहार भी होने लगा है।

रेल बजट के दौरान सोशल मीडिया पर रेल मंत्री और उनके विभाग में बहस के जरिए लोगों को विकास की योजनाओं से सीधा-सीधा जोड़ा। यात्रियों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास भी कराया। यात्रा से संबंधित सूचनाएं देकर उन्हें जागरुक भी किया।

भारतीय रेल की तरह सरकार के दूसरे मंत्रालय भी सोशल मीडिया का बेहतर इस्तेमाल कर सकते है। सोशल मीडिया सभी के लिए खुला है, लेकिन इसका बेहतर इस्तेमाल सिर्फ भारतीय रेलवे ली कर पाया है। सोशल मीडिया के इस्तेमाल से भारतीय रेल आगे भी बहुत कुछ कर सकती है। यादगार रेल यात्राओं की सेल्फी शेयर की जा सकती है, यात्रियों के सुखकर अनुभवों को प्रचारित-प्रसारित किया जा सकता है, भारत की अनेकता में एकता का उदाहरण भारतीय रेल में देखने को मिलता है। इस बात को भी प्रचारित करने में सोशल मीडिया का बेहतर इस्तेमाल हो सकता है। पैलेस ऑन व्हील्स से लेकर नैरोगेज तक की छुक-छुक गाड़ियों का उपयोग भारत के पर्यटन को बढ़ाने में और अच्छी तरह से किया जा सकता है। ऐसा हो सकता है क्योंकि भारतीय रेल पटरियों पर नहीं, विकास की सीढ़ियों पर दौड़ती है।

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