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क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नमो ऐप खुद अफवाहें फैलाने का काम कर रहा है? ऐसे में फेक न्यूज से कैसे निपटा जा सकता है? वरिष्ठ पत्रकार समर्थ बंसल ने इस बारे में एक अध्ययन किया तो पाया कि नमो ऐप खुद ही अनेक ऐसी बातों को फैला रहा है, जिन्हें रोकने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर बना नमो ऐप 10 करोड़ से भी ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। आरोप लगते रहे हैं कि नमो ऐप को डाउनलोड करने वालों का पूरा डाटा उनकी अनुमति के बिना जमा किया जा रहा है। उसका उपयोग डाटा संग्रहकर्ता अपने हित के लिए कर सकता है।

समर्थ बंसल के अनुसार भारत में फेक न्यूज का एक सबसे बड़ा स्त्रोत भाजपा समर्थकों के सोशल मीडिया अकाउंट्स हैं। भाजपा समर्थकों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट भाजपा विरोधी पोर्टल्स से सामग्री उठाते रहते हैं और प्रचारित करते रहते हैं, जिसमें से अधिकांश कंटेंट झूठा होता है। एक सप्ताह पहले ही टाइम पत्रिका ने इस बारे में रिपोर्ट छापी थी कि किस तरह भाजपा का (मिस) इनफार्मेशन सेल तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है। धार्मिक उन्माद को भड़काता है और व्हाट्सएप पर गलत तरीके से प्रचार करता है। यह बात बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि 4 महीने के भीतर ही भारत में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं।

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नमो ऐप अपने यूजर्स को प्रेरित करता है कि वे मोदी मर्चेंटाइज़ खरीदे। जैसे मोदी के नाम पर हूडीज़, कैप आदि बेचने का कार्य इस ऐप के माध्यम से होता है। केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत और राज्यवर्धन सिंह राठौर मोदी हुडीज़ का प्रचार करते नजर आए। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा कि क्या आपने मोदी हुडी खरीदा? नमो ऐप के जरिए तरह-तरह के सर्वे भी किए जाते है। इसके अलावा एक प्राइवेट टि्वटर जैसा अकाउंट भी वहां है, जिसमें यूजर अपने कंटेंट पोस्ट कर सकता है। इसके अलावा यह एक शेयरिंग प्लेटफार्म भी है, जहां पोस्ट को शेयर किया जा सकता है।

नमो ऐप के जरिये माय नेटवर्क में जो फीड आती है, वह यूजर द्वारा जनरेटेड होती है। इसका मतलब यह है कि कोई भी यूजर वहां अपना कंटेंट शेयर कर सकता है। इसमें अनेक सामग्री ऐसी होती है, जो भड़काऊ है और झूठी खबरों का जाल भी है। एक पोस्ट के अनुसार कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा का चुनाव इसलिए नहीं जीत पाई कि वहां हिन्दू वोटरों ने कम संख्या में वोट डाले थे। वास्तव में जाति या धर्म आधारित कोई भी डाटा चुनाव आयोग द्वारा जारी किया ही नहीं जाता। जाहिर है ऐसे कंटेंट की विश्वसनीयता कुछ भी नहीं होती। इसी तरह कुछ दिन पहले एक फोटो शेयर किया गया था, जिसमें राहुल गांधी कांग्रेस के मुख्यालय में बैठे हुए है और उनके पीछे किसी मुगल बादशाह की तस्वीर लगी हुई है। वास्तव में वहां महात्मा गांधी की तस्वीर थी, जिसकी जगह मुगल बादशाह की तस्वीर फोटोशॉप के माध्यम से चिपकाई गई और शेयर की गई, जिससे यह भ्रम होता है कि कांग्रेस के मुख्यालय में मुगल बादशाह की तस्वीर लगी हुई है। ऐसे ही कुछ दिनों पहले बीबीसी के हवाले से यह दावा किया गया था कि हाल ही में हुए एक सर्वे में कांग्रेस पार्टी विश्व की चौथी सबसे भ्रष्ट पार्टी मानी गई है। जबकि बीबीसी ने इस बारे में बयान दिया कि हमने इस तरह का कोई सर्वे कभी किया ही नहीं।

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भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के अनुसार जब लाखों की संख्या में स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों द्वारा पोस्ट लिखे जा रहे हो, तब उन सभी की जांच-पड़ताल बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी विश्वसनीय व्यक्ति के नेटवर्क पर इस तरह के कंटेंट आ रहे हो, तो लोगों में उसके प्रति भरोसा ज्यादा होगा। नमो ऐप के कंटेंट के बारे में फेसबुक पर कई ग्रुप जानकारी देते रहते है। उनमें द इंडिया आई, मोदी भरोसा और सोशल तमाशा नाम के ग्रुप बहुत लोकप्रिय है। इन ग्रुप पर नमो ऐप द्वारा जारी की गई जानकारी की समीक्षा और टिप्पणी की जाती है। सोशल मीडिया के एक विशेषज्ञ के अनुसार आप ऐसी जगह यह कहकर नहीं बस सकते कि यह तो यूजर ने कंटेंट लिखा है, हमारा इसमें कोई लेना-देना नहीं है। यह पाया गया कि सितंबर से नवंबर तक शेयर की गई सबसे लोकप्रिय पोस्ट में से लगभग एक तिहाई असत्य और भ्रामक थी। तथ्य यह भी है कि नमो ऐप इस तरह के कंटेंट को डिफाल्ट फीड्स में दिखाता रहता है।

नमो ऐप केवल मतदाताओं से जुड़ने का साधन नहीं है, यह पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित करने और जोड़े रखने का कार्य करता है। नमो ऐप का एक मुख्य कार्य पार्टी कार्यकर्ताओं को एक मंच देना भी है। यहां पार्टी के कार्यकर्ता अपने संदेश देने के अलावा आपस में संदेशों का आदान-प्रदान भी कर सकते हैं। सचमुच में इसका उद्देश्य है कार्यकर्ताओं से यह कहना कि हमें आपकी इसलिए जरूरत है कि आप यहां भीड़ को ला सकते हैं। इस ऐप के माध्यम से टि्वटर हैशटैग ट्रेंडिंग को प्रभावित भी किया जाता है। नमो ऐप के प्रचार के लिए कर्मचारियों की बहुत बड़ी फौज है, जिन्हें इस बात की तनख्वाह दी जाती है कि किसी भी तरह इस ऐप को भाजपा कार्यकर्ताओं के फोन में इंस्टाल करवाएं।

इसके अलावा नमो ऐप भारतीय जनता पार्टी के लिए सर्वेक्षण का काम भी करता है। पिछले दिनों इस ऐप पर कार्यकर्ताओं से जानकारी ली गई कि विपक्ष के गठबंधन का उनके चुनाव क्षेत्र में क्या असर पड़ेगा? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद ऐसा वीडियो टि्वटर पर शेयर किया, जिसमें अपील की गई कि कार्यकर्ता सर्वे में भाग लें। इसके अलावा केन्द्र सरकार के कार्यों से लोगों को क्या-क्या फायदा हुआ है, इस बारे में भी जानकारी एकत्र की गई है। सर्वे में भाग लेने वालों से पूछा गया कि केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत, भ्रष्टाचार मुक्त सरकार, किसानों की भलाई, ग्रामीण विद्युतीकरण, अर्थव्यवस्था में सुधार और रोजगार के क्षेत्र में जितने भी काम किए है, उसका असर आपके चुनाव क्षेत्र और राज्य में क्या पड़ रहा है?

इसके अलावा नमो ऐप भारतीय जनता पार्टी के लिए चंदा इकट्ठा करने का काम भी कर रहा है। इस ऐप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति भारतीय जनता पार्टी को 5 रूपए से 1000 रूपए तक का चंदा दे सकता है। चंदा देने वाला प्राप्त रसीद का कोड ई-मेल, एसएमएस या व्हाट्सएप से भेजकर एक लॉटरी में भी शामिल हो सकता है, जिसमें चुने हुए लोगों को नरेन्द्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से मिलने का मौका भी प्राप्त होगा। जो व्यक्ति अपने अलावा 10 और लोगों को चंदा देने के लिए प्रेरित करेगा, उन्हें नमो मर्चेंटाइज का टी-शर्ट, नोटबुक्स, डायरी, स्टीकर, पेन, टोपी, कॉफी मग आदि उपहार में देने की योजना भी है। पार्टी के एक प्रवक्ता के अनुसार इस ऐप का उपयोग करके लोग आम तौर पर 100 से 1000 रूपए तक चंदा जमा करा रहे हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार इस तरह के चंदा लेने का उद्देश्य यह भी है कि चंदा देने से आम नागरिक प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ जाएंगे और मतदान केन्द्र में भाजपा के पक्ष में बात करते मिलेंगे। नमो ऐप के माध्यम से जो चीजें बेची जा रही है, वे बिना डोनेशन के भी उपलब्ध है। मोदी अगेन लिखी हुई सफेद टी-शर्ट 199 रूपए में और मोदी अगेन लिखे हुए मग 150 रूपए में खरीदे जा सकते है।

नमो ऐप के माध्यम से इस तरह चंदा इकट्ठा करने का उद्देश्य चुनाव में होने वाले खर्च की व्यवस्था करना तो है ही, साथ ही यह छवि भी बनाना है कि भारतीय जनता पार्टी को मदद करने वाले बड़े उद्योगपति नहीं, आम लोग है और यही लोग चुनाव में मतदान के माध्यम से सरकार बनाते और बिगाड़ते है।

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