Bookmark and Share

mumbai

पत्रकार के रूप में मुंबई में करीब डेढ़ दशक बिताने के बाद महाराष्ट्र चुनाव के बारे में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि :

1. राज ठाकरे और मनसे का कोई भविष्य महाराष्ट्र में नहीं बचा है।

2. भाजपा की सीटें गत चुनाव से कम हुई हैं और शिव सेना की बढ़ी हैं इससे शिव सेना अब ज्यादा और महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो के लिए दावा करेगी।

3. भाजपा, शिव सेना, ईडी और आईबी जैसी 'पार्टियों' से संघर्ष करते हुए शरद पवार ने अपनी ताकत फिर दिखा दी है। शरद पवार ने 79 वर्ष की उम्र होते हुए भी पूरे महाराष्ट्र में सघन दौरे किए और अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया।

4. किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दे को किसी भी पार्टी ने चुनाव के दौरान प्रमुख मुद्दा नहीं बनाया। भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दों पर ही चुनाव लड़ा।

5. कांग्रेस की स्थिति जितनी बुरी होने की आशंका थी, उतनी बुरी नहीं हो पाई। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में केवल 7 ही रैलियां की थी। 21 अक्टूबर को मतदान था और वे 13 अक्टूबर को महाराष्ट्र में आए। स्पष्ट है कि कार्यकर्ताओं में उनके आने का वैसा उत्साह और तैयारी नजर नहीं आई।

6. भारतीय जनता पार्टी ने पूरा चुनाव 3 मुद्दों पर लड़ा। अनुच्छेद 370 यानी कश्मीर, राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान। अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को खत्म किया गया, तब से ही भाजपा के नेता और कार्यकर्ता उसे भुनाने में लगे थे। मतदान के ठीक पहले जब पीओके पर भारतीय सेना ने हमला करके आतंकियों के कैम्प नष्ट किए, तब भी भाजपा के कार्यकर्ता तत्काल सक्रिय नजर आए।

7. केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो घोषणाएं की थी और जिन घोषणाओं पर अमल हुआ, उसका फायदा भाजपा को मिला। गांव-गांव में पानी पहुंचाना, कर्ज मुक्ति और उज्जवला योजना से भी मतदाता भाजपा की तरफ प्रभावित हुए।

8. औवेसी की सभाओं में काफी भीड़ होती थी, लेकिन वह भीड़ मतदाताओं में नहीं बदल सकी। औवेसी को महाराष्ट्र के लोग इलेक्शन आइटम ही समझते है। वैसे भी वे महाराष्ट्र के नेता नहीं है।

9. ठाकरे खानदान से पहली बार आदित्य ठाकरे वरली से चुनकर विधानसभा में जाएंगे। ऐसा पहली बार हुआ, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य विधानसभा में जनता की बात कहेगा। हो सकता है शिव सेना आदित्य ठाकरे के लिए उपमुख्यमंत्री पद की मांग करें। इस चुनाव में शिव सेना ने गैरमराठी भाषियों के विरूद्ध आग उगलना बंद कर दिया था और आदित्य ठाकरे ने तो मुंबई की नाइट लाइफ को जीवंत करने तथा वेलेंटाइन्स डे का विरोध छोड़ने जैसी बातें भी कही थी।

10. बीस साल बाद महाराष्ट्र में किसी मुख्यमंत्री ने पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया है। देवेन्द्र फडणवीस ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अपने समकालीन नेताओं का पत्ता चुनाव में ही काट दिया था। आगे जाकर वे नेता फडणवीस को सबक सिखाने की कोशिश जरूर करेंगे।

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com