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पूरी दुनिया में पत्रकारों पर हमले और हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। हाल ही में माल्टा में एक पत्रकार की कार में बम छुपाकर रखा गया और विस्फोट के जरिये पत्रकार की हत्या कर दी गई। एक्वाडोर में संगठित अपराधियों ने दो पत्रकारों का अपहरण किया और उनकी हत्या कर दी। भारत में भी रेत माफिया द्वारा पत्रकार संदीप शर्मा की हत्या की खबर सुर्खियों में आ चुकी है। इस वर्ष अब तक 31 पत्रकारों की हत्या दुनियाभर में हो चुकी है। कई पत्रकार लापता है और कुछ के बारे में पता भी नहीं चल पाया है। पत्रकारों की संस्था रिपोटर्स विदाउट बार्डर्स ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह बात कही है।

रिपोर्ट के अनुसार संगठित अपराधी गिरोह ने एक दर्जन से अधिक पत्रकारों की हत्या की। ये हत्याएं सीमा पर रिपोर्टिंग करते हुए होने वाली हत्याओं से अलग है। असली रिपोर्टिंग के कारण पत्रकार अपराधी गिरोहों के निशाने पर है और मौत का शिकार हो रहे है। इन हत्याओं के बाद भी अपराधी खुलेआम घूम रहे है और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए चुनौती बने हुए है।

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सीरिया और अफगानिस्तान में आतंकी ग्रुप पत्रकारों की हत्या कर रहे है। भारत में जम्मू-कश्मीर में कुछ माह पूर्व पत्रकार शुजात बुखारी की भी हत्या कर दी गई थी। पत्रकार संगठन ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है। 2017 में अकेले मैक्सिको में ही 9 पत्रकारों की हत्या की गई। इसके अलावा 4 और हत्याओं के बारे में जानकारी मिली है। मैक्सिको में नशीली दवाओं का कारोबार करने वाले गिरोहों की तूती बोलती है और वे कई जगह कानून और व्यवस्था पर भी भारी पड़ते है। 2012 में मैक्सिको में 32 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। पत्रकारों के किसी भी हत्यारे को सजा नहीं हो पाई।

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लेटिन अमेरिका में गत वर्ष 6 पत्रकारों की हत्या की गई। एक्वाडोर में दो पत्रकार और एक उनकी कार का ड्राइवर मारा गया। कम्बोडिया ड्रग माफिया ने पहले पत्रकारों का अपहरण किया और बाद में उन्हें यातनाएं दे-देकर मार डाला। ब्राजिल में 3 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। अलग-अलग वारदातों में उन्हें गोली मार दी गई। भारत में अवैध रेत माफिया द्वारा संदीप शर्मा नामक पत्रकार की हत्या कर दी गई।

यूरोपीय यूनियन में भी पत्रकार सुरक्षित नहीं है, जबकि यह माना जाता है कि वे ऐसे इलाके में रहते है, जहां प्रेस की आजादी का महत्व समझा गया है। इटली के कुख्यात माफिया ने पिछले दिनों 2 पत्रकारों की हत्या कर दी। बुल्गारिया भी 2 महीने पहले एक पत्रकार को गोली मार दी गई।

पत्रकार संगठन का कहना है कि इन वारदातों के अलावा 5 पत्रकारों की हत्या की कोशिश की गई, लेकिन वे सौभाग्य से बच गए। इसके अलावा पत्रकारों पर छोटे-मोटे हमले तो होते ही रहते है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिहाज से यूएसए अपेक्षाकृत सुरक्षित माना गया है। वहां पत्रकारों की हत्या तो नहीं हुई, लेकिन उन पर दबाव डाले गए। यहां तक कि राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके सहयोगियों ने भी पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश की। न्यूयाॅर्क टाइम्स और सीएनएन ट्रम्प सरकार के निशाने पर है। वाशिंगटन पोस्ट में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार जमाल खशोगी की अक्टूबर में सउदी अरब में हत्या कर दी गई थी। अभी तक उनका शव भी बरामद नहीं किया जा सका है। 90 प्रतिशत मामलों में पत्रकारों के हत्यारे सजा से बच गए है। पत्रकार संगठन का कहना है कि यह एक गंभीर मसला है, जिस पर पूरी दुनिया को ध्यान देना चाहिए। जिन देशों में पत्रकारों की हत्या हो रही है, वहां की सरकारों को इन मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए।

दुर्भाग्य की बात है कि दुनिया के कई देशों में सरकारें ही अपने पक्ष में नहीं लिखने वाले पत्रकारों के पीछे पड़ी रहती है। उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित करती है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराती। दूसरी तरफ अपराधी तत्व भी है, जो संगठित होकर मीडिया के खिलाफ गतिविधियां करते रहते है। मौका पड़ने पर वे पत्रकारों की हत्या से भी बाज नहीं आते।

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