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क्या आपको मालूम था कि भारत से उच्च शिक्षा के लिए भी सैकड़ों विद्यार्थी #पाकिस्तान जाते हैं?...जबकि विश्वभर के 164 देशों के विदेशी छात्र भारत में पढ़ते हैं। नेपाल , अफगानिस्तान, बांग्लादेश , सूडान, नाइजीरिया, अमेरिका, यमन, श्रीलंका, ईरान के छात्र। बी-टेक, बीबीए, बीएससी, बीए, बी-फार्मा, बीसीए, एमबीबीएस, नर्सिंग और बीडीएस लोकप्रिय हैं।
पाकिस्तान जाकर वे करते क्या हैं? पंचर बनाना सीखते हैं या ब'म' बनाना?
शुक्रवार को University Grants Commission (UGC) and All India Council for Technical Education (AICTE) ने बाकायदा एक एडवाइजरी जारी की और कहा कि भैया, अब 'उच्च शिक्षा' के लिए पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आप पाकिस्तान गए तो आपको भारत में न तो नौकरी करने दी जाएगी, और न ही धंधा करने दिया जाएगा।
चीनी पटाखे, मांझा, खिलौने आदि के बहिष्कार की बातें धरी की धरी रह गई और चीन भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर बन गया। जी हां यही सच्चाई है। आंकड़े कभी झूठ नहीं बोलते। आंकड़े कहते हैं कि चीन से भारत का कारोबार तमाम प्रतिबंधों के नारों के बावजूद बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
2021 में भारत में चीन से आयात 43.3 प्रतिशत बढ़ गया है। यह अब तक का सबसे बड़ा रिकार्ड है। पिछले साल भारत में चीन से 125.7 अरब डॉलर का सामान आयात किया। चीन की सरकारी एजेंसी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना के बावजूद चीन का निर्यात तेजी से बढ़ा और उसका सामान खरीदने वालों में भारत भी एक प्रमुख देश हैं।
मीडिया के प्रति समर्पण का पहला दौर उससे ज्ञान हासिल कर खुद को पत्रकार बनाना है तो दूसरा दौर अनुभवों के खजाने से इसे परिष्कृत करना। हालांकि अब ऐसे पत्रकारों की संख्या कम हो रही है। पेशे में आई जबरदस्त प्रतिस्पर्धा ने ‘सफल पत्रकार’ की परिभाषा प्रभावित की है, इस मुकाम को हासिल करने के रास्ते बदल दिए हैं, लेकिन संकट के इन संकेतों के बीच उम्मीद रोशन करते हैं प्रकाश हिंदुस्तानी।
नवभारत टाइम्स, मुंबई 16 अक्टूबर 2016
न्यू जर्सी के रटगर्स विश्वविद्यालय में तीन से पांच अप्रैल 2015 तक द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में भारत, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी आदि देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उद्देश्य है भारतीय समाज के साथ जुड़कर हिन्दी के अभियान को नई तेजी और दिशा प्रदान की जाए। प्रवासी भारतीय समुदाय द्वारा हिन्दी को आगे बढ़ाने के लिए यह आयोजन हो रहा है। गत वर्ष यह आयोजन न्यू यार्क विश्वविद्यालय में किया गया था।