Sayar 1

में शायरी का चलन बहुत लोकप्रिय है। यह उर्दू कविता का एक रूप है। भारत और पाकिस्तान में हज़ारों लोकप्रिय शायर हुए हैं। ग़ज़ल अरबी साहित्य की विधा थी, लेकिन उसे फारसी, उर्दू, हिन्दी और नेपाली ने भी अपना लिया। ग़ज़ल एक ही बहर और वज़न के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है।

ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहते हैं और अंतिम शेर को मक़्ता। ग़ज़ल जिस धुन या तर्ज़ पर होती है उसे बहर कहा जाता है और आखिरी शेर मक़्ता कहलाता है। शेर के बहुवचन को अशआर कहते हैं। मक़्ते में सामान्यतः शायर अपना नाम जोड़ देता है ग़ज़ल में शेर एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। कभी-कभी एक से अधिक शेर मिलकर अर्थ देते हैं। ऐसे शेर कता बंद कहलाते हैं।

Read more...

PR1401

मध्यप्रदेश के इंदौर और भोपाल शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की बातें तो कई बार हुई है, लेकिन वह सारी कवायद ब्यूरोक्रेसी में ही उलझ कर रह गई है। इसी बीच उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए फैसला कर लिया।

देश में अभी 15 राज्यों के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। उत्तरप्रदेश में करीब 50 वर्षों से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने पर चर्चा चल रही थी। सरकार का तर्क है कि इसे लागू करने से लखनऊ और नोएडा की कानून और व्यवस्था की स्थिति अच्छी होगी। अपराधियों पर नियंत्रण करना आसान होगा और फैसलों में तेजी आएगी। वास्तव में पुलिस कमिश्नर प्रणाली अंग्रेजों के ज़माने की देन है। आजादी के बाद भी मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में यही प्रणाली लागू थी।

Read more...

PR0611

दूसरे नरेन्द्र मोदी!

वास्तव में दो नरेन्द्र मोदी हैं। एक भाजपा के नेता हैं और दूसरे भारत के प्रधानमंत्री! आप भाजपा नेता से घोर असहमत हो सकते हैं। लेकिन शायद प्रधानमंत्री मोदी से नहीं। बैंकाक में आरसीईपी कई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी गए थे, वहां उन्होंने जो कहा भारत ने कहा, भारत की ओर से कहा और बेशक़ भारत के लिए कहा।

2012 से चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, न्यू जीलैंड, सिंगापुर और आसियान के दस देशों सहित कुल 16 देश मुक्त कारोबार करनेवाले देशों का संगठन बनाना चाहते थे। मुक्त व्यापार यानी बेरोकटोक आयात और निर्यात! भारत भी उस चर्चा में शामिल होता था।

Read more...

Pr a

आर्थिक जगत में डॉ. भीमराव आम्बेडकर के योगदान को हमेशा कमतर आंका गया है। डॉ. आम्बेडकर का कद इतना बड़ा था कि उसका आकलन छोटी बात नहीं है। आमतौर पर जन-जन में उनकी छवि संविधान निर्माता और युगांतरकारी नेता के रूप में ही प्रमुखता से रही है। अर्थ जगत में डॉ. आम्बेडकर के योगदान की चर्चा कम ही होती है। डॉ. आम्बेडकर ने विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, शिक्षाविद, चिंतक, धर्मशास्त्री, पत्रकार, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि अनेक रूपों में अहम योगदान दिया है। आज़ादी के बाद अगर उन्हें समय मिलता तो निश्चित ही अर्थशास्त्री के रूप में उनकी सेवाओं का लाभ दुनिया ले पाती। भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना में डॉ. आम्बेडकर का योगदान अहम है।

Read more...

PR0111

मीडिया पर सेलेब्रिटी का आतंक इतना ज्यादा हो गया है कि वह आम आदमी से दूर भाग रहा है!उसे एक तरह का फ़ोबिया हो गया है। आम आदमी की ख़बरें ग़ायब; राजनीति, कूटनीति, अर्थ जगत, जेंडर से जुड़े विषय, विषमताओं समाचार लुप्त; संस्कृति,शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान से जुड़े तमाम मुद्दों और विचारों का स्पेस अब केवल और केवल सेलेब्रिटी से भरा जा रहा है, वह भी उन सेलेब्रिटीज़ के बहाने, जिन्हें शायद ही कोई पूछता हो! हमारे दिमाग़ को कूड़ाघर समझ रखा है?

Read more...

Shiv Sena NCP

लगता है कि राजनीति में खासकर चुनावी राजनीति में अब विचारधारा हाशिये पर चली गई है, जो लोग कभी सहयोगी होते थे, अब विरोधी हो जाते हैं, जो कभी विरोधी थे, सहयोगी होने लगे। महाराष्ट्र में जिस तरह कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मदद से शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने हैं, वहां शिवसेना कभी कांग्रेस की सबसे बड़ी विरोधी हुआ करती थी। शिवसेना करीब तीन दशकों से भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी के रूप में चुनाव लड़ रही थी, लेकिन अब उसके नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के सहयोग से सरकार चला रहे हैं। महाराष्ट्र की सियासत चल ही रही थी कि एक ऐसा ही अजूबा गोवा में देखने को मिला। गोवा के मारगो में महापौर के लिए तीन पार्टियां मैदान में थी। गोवा फॉर्वर्ड पार्टी, भाजपा और कांग्रेस। गोवा फॉर्वर्ड पार्टी एनडीए में है और भाजपा की सहयोगी पार्टी है, लेकिन मार्गो के महापौर चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने मिलकर अपने संयुक्त उम्मीदवार डोरिस टेक्सेरिया का समर्थन किया। गोवा फॉर्वर्ड पार्टी के उम्मीदवार पूना नायक थे। मारगो नगर निगम में भाजपा की 7 सीटें हैं और कांग्रेस की 6, जबकि गोवा फॉर्वर्ड पार्टी के 11 सदस्य जीते हैं। 25 सदस्यीय परिषद में गोवा फॉर्वर्ड पार्टी के उम्मीदवार की जीत हुई। गत 22 नवंबर को यह अजूबा हुआ, जब महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल अपने शीर्ष पर थी।

Read more...

mumbai

पत्रकार के रूप में मुंबई में करीब डेढ़ दशक बिताने के बाद महाराष्ट्र चुनाव के बारे में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि :

1. राज ठाकरे और मनसे का कोई भविष्य महाराष्ट्र में नहीं बचा है।

2. भाजपा की सीटें गत चुनाव से कम हुई हैं और शिव सेना की बढ़ी हैं इससे शिव सेना अब ज्यादा और महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो के लिए दावा करेगी।

Read more...

BPCL

केन्द्र सरकार जश्न के लिए हवेली की नीलामी करने जा रही है। भारत की नवरत्न कंपनियों में से एक भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) का विनिवेश करने का फैसला कुछ इसी तरह का है। बीपीसीएल में भारत सरकार का 53.23 प्रतिशत हिस्सा है और सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी किसी और को सौंपने जा रही है। यह देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी है। विनिवेश के बाद सरकार का नियंत्रण इस कंपनी से हट जाएगा।

Read more...

pr2510

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न दिलाने का मुद्दा घोषणा पत्र में लिखे जाने के बाद सावरकर पर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। भारत के स्वाधीनता संग्राम में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसने दो-दो बार काला पानी की सजा पाई हो। दोनों बार यह सजा आजीवन मिली थी। न ही इतिहास में कोई ऐसा स्वाधीनता सेनानी दर्ज़ है, जिसके परिवार की संपत्ति अंग्रेज़ों ने 6-6 बार कुर्क की हो और न ही इतिहास में कोई ऐसा स्वाधीनता सेनानी दर्ज़ है, जिसमें एक ही परिवार के दो भाइयों को एक ही जेल में रखा गया हो और वे 12 साल तक एक-दूसरे की शक्ल भी नहीं देख पाए हों। जो बलिदानी भारत माता के लिए अंडमान की जेल में कोल्हू के बैल की तरह 10 साल तक जुटा रहा, जिसने जेल की दीवारों पर भारत माता की स्मृति में नाखून और पत्थर से कविताएं लिखी, जो बलिदानी अपने जीवन के महत्वपूर्ण 26 साल जेल में बिताने पर भी उद्वेलित नहीं हुआ, जिस क्रांतिकारी ने जाति प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी, अंधविश्वासों के खिलाफ युद्ध किया। जिसने हमेशा साहित्य, भारतीयता और मातृभूमि की रक्षा को बल दिया, जिसने पढ़ाई करने के बाद भी बैरिस्टर की डिग्री इसलिए नहीं ली कि उन्हें इसके लिए ब्रिटेन की महारानी के नाम पर शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने थे और उन्होंने इससे इनकार कर दिया था।

Read more...

PR0711

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन और जापान को सबक सिखा सकते हैं, लेकिन लश्कर-ए-नोएडा को नहीं। भारत में आरसीईपी यानी रीजनल कम्प्रेहेन्सिव इकॉनामिक पार्टनरशिप में शामिल होने से इनकार किया, वह तो देशहित में ही है, लेकिन फिर भी मीडिया का एक प्रमुख वर्ग जिसे लश्कर-ए-नोएडा कहा जाने लगा है, सरकार के फैसले के खिलाफ आग उगल रहा है। अब भी अगर यह स्थिति है, तो सोचिए कि समझौते में शामिल होने के बाद क्या स्थिति होती ? तब यही लश्कर-ए-नोएडा आरोप लगाता कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हितों को बेच दिया है और उसे देश के किसानों, मजदूरों, छोटे व्यापारियों और उद्योगों की कोई चिंता नहीं है। अब यह वर्ग कहना लगा है कि समझौते से अलग हटने के कारण यह बात साफ हो गई है कि भारत की अर्थव्यवस्था कमज़ोर स्थिति में है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर भारत इस समझौते में शामिल होता, तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य पाना आसान हो जाता है। इसका मतलब यह कि चित भी हमारी और पट भी हमारी।

Read more...

PR1710

एक दौर था जब देश धर्म के आधार पर चला करते थे। फिर राजतंत्र आया। उसके बाद साम्यवाद, पूंजीवाद आदि की अवधारणाएं आई। यह माना जाने लगा कि सरकारें देश चलाती हैं। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में यह धारणा है कि सरकारें देश चलाती हैं, लेकिन वास्तव में बाज़ार की शक्तियां ही सरकार को संचालित करती हैं। वे ही देश की दिशा तय करती है और सरकारों को बाज़ार के हिसाब से चलना होता है। यूरोप के कई देशों में हम इसे देख चुके हैं और भारत तथा चीन जैसे देशों में भी इसका एहसास होता है। बात चाहे मीडिया की हो, शिक्षा व्यवस्था की, चिकित्सा व्यवस्था की या और किसी भी व्यवस्था की। बाज़ार के सामने सभी हाशिये पर हैं, जो लोग बाज़ार को गाली देते हैं, वे भी बाज़ार के इशारे पर ही चलते नज़र आते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। पूर्ववर्ती सरकारों में भी यही होता था। अब बाज़ार का प्रभाव पहले की अपेक्षा कही ज्यादा है।

Read more...

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com