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नेपाल में भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार जारी है। यह दुष्प्रचार नेपाल के नए संविधान को लेकर भारत की कथित आपत्ति पर है। नेपाल ने हाल ही में अपना नया संविधान स्वीकार किया है, जिसे वहां की संसद ने 20 सितंबर 2015 को अंगीकार भी कर दिया है। नेपाल का मीडिया इन दिनों भारत के खिलाफ आग उगल रहा है। नेपाल के केबल ऑपरेटरों ने भारत के सभी चैनल दिखाना बंद कर दिया है। वहां के अखबारों में भारत के खिलाफ रोज नए-नए अफसाने आते रहते हैं। भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की इंतेहा सोशल मीडिया पर दिखाई देती है।
बिहार चुनाव का पहला चरण 12 अक्टूबर को है। 10 जिलों में मतदान के साथ ही पांच चरणों का बिहार चुनाव शुरू हो जाएगा। चुनाव में जो मजा बिहार में होता है, वह कहीं नहीं। बिहार के नेताओं की हाजिरजवाबी, सेंस ऑफ ह्यूमर, मेहनत, जुझारूपन और बिहार के मतदाताओं की बुद्धिमत्ता इसे विशेष बनाती है। बिहार के चुनाव में कार्टून, लतीफे, आरोप-प्रत्यारोप का जो स्तर देखने को मिलता है, वह किसी चुनाव में नहीं मिलता। सोशल मीडिया में वे लतीफे और कार्टून भी आ जाते है, जिन्हें अखबार और टीवी वाले सेंसर कर देते है।
सोशल मीडिया का बेहतरीन उपयोग अगर कोई विभाग कर रहा है, तो वह भारतीय रेल है। रेल मंत्री से लेकर आला अधिकारी तक सभी यात्रियों से सतत् संपर्क में रहते हैं। करोड़ों रेल यात्रियों से लगातार संपर्क बनाए रखना, उनकी शिकायतों, सुझावों को सुनना जैसे महत्वपूर्ण कार्य रेल विभाग सोशल मीडिया की मदद से कर रहा है। एक असंभव काम सोशल मीडिया ने बेहद आसान बना दिया है। रेल विभाग ने सोशल मीडिया का महत्व समझा और उस पर काम किया, यहीं उसकी खासियत है।
भारत में सोशल मीडिया के टॉप इन्फुएंसर्स में सलमान खान छठें पायदान पर हैं, अनुपम खेर 12वें पर और सोनम कपूर 31वें पर। 12 नवंबर को रिलीज होने वाली फिल्म प्रेम रतन धन पायो में सोशल मीडिया के तीनों महारथी एक साथ काम कर रहे हैं। ये वे लोग है, जो सोशल मीडिया की ताकत को समझते भी है और उसका उपयोग भी करते हैं। जैसे नरेन्द्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया का बाखूबी उपयोग किया था, वैसे ही ये लोग भी जुटे है। नरेन्द्र मोदी इस सूची में चौथे नंबर पर हैं।
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सोशल मीडिया पर नौकरशाहों की सक्रिय उपस्थिति नजर आने लगी है। ऐसा नहीं है कि ये लोग पहले सक्रिय नहीं थे, लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सोशल मीडिया की मदद से सरकारी कामों का प्रचार-प्रसार करें और लोगों की समस्याएं जानने के लिए भी इस माध्यम का उपयोग करें। गृह विभाग ने तो बाकायदा यह निर्देश भी जारी कर दिया था कि सोशल मीडिया का उपयोग करते समय हिन्दी और दूसरी भारतीय भाषाओं का उपयोग भी किया जाए।
पूरे सप्ताह सोशल मीडिया पर जो दो मुद्दे छाए रहे- वे थे असहिष्णुता और मार्च फॉर इंडिया। लेखकों, कलाकारों, इतिहासकारों, उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों के असहिष्णुता पर दिए गए बयानों को लेकर जितनी असहिष्णुता सोशल मीडिया में रही, वह अद्भुत थी। ब्लॉग्स, ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन, यू-ट्यूब आदि सभी प्रमुख सोशल मीडिया मंचों से बेहद अभद्र भाषा में टिप्पणियां देखने को मिलीं। भाषा का स्तर न्यून से न्यूनतम तक चला गया है। असहिष्णुता के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष दोनों के ही समर्थक हार मानने को तैयार नहीं नजर आए।